पं0 दीनदयाल उपाध्याय एवं उनके विचार
Abstract
विश्व में अनेक ऐसे चिन्तक एवं समाज सुधारक हुए हैं। युगों-युगों तक जिन्हें स्मरण किया जाता रहा है। भारत में भी ऐसे कई महान व्यक्तित्व हुए हैं। जिन्हें आज भी याद किया जाता है। इन्हीं में से एक हैं, पं0 दीनदयाल उपाध्याय।
पं0 दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को जयपुर जिले के धानक्या ग्राम में हुआ था। इनके पिता सहायक स्टेशन मास्टर थे। इनकी अल्पायु में ही पिता एवं माता के निधन के कारण इनका बचपन अपने ननिहाल में हुआ। बाल्यावस्था से ही वे कुशाग्र बुद्धि के थे।
सरल एवं सौम्य स्वभाव के पं0 दीनदयाल ने अध्ययन के पश्चात नौकरी के स्थान पर समाज सेवा का मार्ग चुना। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता हो गये थे। कालेज के उपरान्त ही वे इसके प्रचारक भी बन गये। सन् 1951 में अखिल भारतीय जनसंघ का निर्माण होने के पश्चात उन्हें इसका संगठन मंत्री एवं 1953 में महामन्त्री का दायित्व सौंपा गया। 15 वर्ष तक महामन्त्री पद पर कार्य करने के पश्चात दिसम्बर 1967 में आपको अखिल भारतीय जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया। 11 फरवरी सन् 1968 की रात रेल यात्रा के दौरान उनकी हत्या कर दी गई जो एक रहस्य ही बना है।