एकात्म मानववाद के प्रणेता पं0 दीनदयाल उपाध्याय
Abstract
पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा एकात्म मानववाद को 22 से 25 अप्रैल 1965 को मुबंई में अपने चार व्याखानों के रूप में प्रस्तुत किया गया था। उन्होने बताया कि भारत विष्व में अपने सांस्कृतिक संस्कारों के कारण ही प्रथम स्थान प्राप्त कर पायेगा। मानवीय एकता का मंत्र ही हम सभी का मार्गदर्शन करता है। मानव जीवन व सम्पूर्ण सृष्टि के सम्बन्ध का दर्शन एकात्म मानववाद ही है और इस एकात्म मानववाद की वैज्ञानिक विवेचना पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी ने ही की थी। उन्होने भारत की तत्कालीन राजनीति व समाज को वह दिषा देने का प्रयास किया जो एकात्म मानववाद के रूप में 100 प्रतिशत भारतीय है। वे मानव को वटा हुआ देखने के पक्षधर नही थे और समग्रता में चिंतन प्रस्तुत करने का कार्य पं0 दीनदयाल जी के इस एकात्म मानववाद रूपी दर्शन ने बखूबी किया है।
Downloads
Download data is not yet available.