पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन व्यक्तित्व कृतित्व एवं विचार
Abstract
यद्यपि भारत में समाजवादी विचार और समाजवादी पार्टी या उस समय से ही विद्यमान है जब से यूरोपीय विचारों ने यहां के शिक्षित लोगों को प्रभावित करना आरंभ किया तथा भी सैद्धांतिक रूप से समाजवाद यहां के निवासियों के राजनीतिक व सामाजिक जीवन में अपना कोई विशेष स्थान नहीं बना सका। परंतु आवडी अधिवेशन के पश्चात जिसमें समाजवादी समाज रचना को अपना अंतिम लक्ष्य घोषित किया, वहीं जन साधारण और देश दोनों की स्थिति बदल गई। जहां तक जनसाधारण का प्रश्न है वह आज भी उससे उतनी ही दूर है। समाजवाद के लक्ष्य को अपनाए जाने के बाद भी यह जनता का हित स्पष्ट नहीं कर पाया है। जनता उसके प्रति उत्साहित नहीं है, परंतु ऐसा समझा जाने लगा ह,ै कि सरकार की नीतियां उसी के अनुरूप बदलती जा रही है, और इस कारण जो सरकारी निर्णयों को प्रभावित करने का विचार करते हैं उन्हें अपनी चिंता हो गई है। आज इस विचारधारा के अनुयायियों की संख्या के अनुपात में इसे कहीं अधिक महत्व प्राप्त हो गया है।