भारतीयता और पंडित दीनदयाल
Abstract
हमको आज भारतीयता की पूजा करनी है, किंतु भारतीय जीवन शून्य में तो अवस्थित है नहीं। वह मानव-जीवन का ही एक अंग है अतः विश्व में होनेवाली घटनाओं और चलनेवाली विचार क्रांतियों से वह अपने आपको कैसे अछूता रख सकता है? उनका उसपर परिणाम होगा ही। अतः भारतीय जीवन का विचार करते समय हमको संसार-सागर को उद्वेलित करनेवाली विचार-वीवियों को दृष्टिगत रखना ही होगा, अपनी तरी हमको सागर की अवस्था का विचार करके ही निर्माण करनी होगी।
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