पंडित दीनदयाल के विचार एवं कृतित्वः समाजवाद, लोकतंत्र अथवा मानवतावाद
Abstract
यह तो सर्वविदित है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक अदम्य प्रतिभाशाली और विवेकशील युग पुरुष थे। उनके विचारों की व्याख्यान आज के संदर्भ में एक अपेक्षित भविष्यवाणी ही मानी जा सकती है। उन्होंने दूर दृष्टि से जो भी आज के समय की कल्पना की थी वह आज साकार होती सच आ रही है। यह सत्य है कि आज प्रत्येक व्यक्ति मानवतावाद से दूर और एकात्मवाद से कोसो दूर जा चुका है। अतएव, आज की परिस्थितियों से घिरे रहने के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की सार्थकता को संदर्भित करना संभवत कार्य प्रतीत होता है इसलिए बेहतर यही होगा कि हम बार-बार और हर बार उनके विचारों को यथा पढ़ें। यह मेरी स्वयं की अनुभूति है कि जितनी बार मैं उनके विचारों को पढ़ने का प्रयास करता हूं एक नया अर्थ और एक नया आयाम मुझे उनके विचारों में दिखता है जिस की व्याख्या करना मुश्किल है क्योंकि यह एक अनुभूति है।