श्रद्धेय दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के विभिन्न आयाम संदर्भित बिन्दु-एकात्म मानव दर्शन, शिक्षा एवं शिक्षक
Abstract
जनसंघ के राष्ट्रीय जीवन दर्शन के निर्वाता दीनदयाल जी का उद्देश्य स्वतंत्रता की पुर्न रचना के प्रयासों के लिये विशुद्ध भारतीय तत्व दृष्टि प्रदान करना था, उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश का एकात्म मानववाद जैसे प्रगतिशील विचारधारा दी। दीनदयाल जी को जनसंघ के आर्थिक नीति के रचनाकार बताया जाता है। आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य सामान्य मानव का सुख है या उनका विचार था। विचार-स्वातंत्रय के इस युग में मानव कल्याण के लिए अनेक विचारधारा को परपने का अवसर मिला है। इसमें साम्यवाद, पूंजीवाद, अन्त्योदय, सर्वोदय आदि मुख्य है। किन्तु चराचर जगत को सन्तुलित, स्वस्थ व सुन्दर बनाकर मनुष्य मात्र को पूर्णता की ओर ले जा सकने वाला एक मात्र प्रक्रम सनातन धर्म द्वारा प्रतिपादित जीवन-विज्ञान, जीवन-कला व जीवन-दर्शन है।
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