पंडित दीनदयाल जी के पर्यावरणीय सतत विकास परिकल्पना का एकात्म चिंतन
Abstract
भारत की पावन भूमि पर समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। जिन्होंने समय-समय पर हमारे देश की दशा और दिशा को नया रुप दिया हैं। भारत जैसी पावन भूमि पर सितम्बर 1916 को पंडित दीनदयाल जैसे महापुरुष ने जन्म लिया, जो एकात्म मानववाद व अंत्योदय के प्रणेता थे। तीन वर्ष की आयु में ही इनके सर से पिता का साया उठ गया तथा सात वर्ष की आयु में ही माता के प्यार से भी वचिंत हो गये। जिससे इनका सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय हो गया था। ;1द्ध इनके संस्कारों का विकास पूर्णतः उपस्थित पर्यावरण और प्रकृति की ही देन है। पंडित जी एक स्वंयसेवक के साथ-साथ दार्शनिक, अर्थशास्त्री इतिहासकार, पत्रकार भी थे। इन्होने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
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