पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन सामाजिक-आर्थिक पहलू
Abstract
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितम्बर 1916 में मथुरा के छोटे से गांव नगला चन्द्रभान में हुआ था। 3 वर्ष की उम्र में अपने पिता जी का तथा 7 वर्ष की अवस्था में उनकी माता जी का देहान्त हो गया। वह अपने माता पिता के प्यार से वंचित हो गये किन्तु उन्हांेने असहनीय दर्द की दिशा को बहुत ही सहजता, सरलता तथा सुन्दरता से लोक कल्याण की ओर मोड़ दिया। वह हंसते हुए जीवन में संघर्ष करते रहे। पण्डित जी का पढाई का शौक बचपन से ही था। इण्टरमीडिएट की परीक्षा में उन्होने सर्वोच्च अंक प्राप्त कर अति मेधावी छात्र होने का कीर्तिमान स्थापित किया। आपकी सीख थी कि आप जो कहते हैं वही करते है, वही सोचते है और जो सोचते है वही आपकी वाणी में आता है तब इश्वरीय तथा प्रकृति की तमाम शक्तियां आपकी मदद करने के लिये चारांे ओर से आ जाती है। उन्होने कहा था कि हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता है, केवल भारत ही नही, माता शब्द हटा दीजिये तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्र बन कर रह जाएगा।