पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उपेक्षित एकात्म मानव दर्शन की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सार्थकता
Abstract
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी भारतीय राजनीतिक एवं आर्थिक चिंतन को वैचारिक दिशा देने वाले पुरोधा थे। इनके विचारों को तत्कालीन कांग्रेसी दिग्गजों के वर्चस्व व प्रभाव के कारण महत्व नहीं दिया गया।
दीनदयाल उपाध्याय का राजनीति में आगमन उस समय हुआ, जब भारत आजादी से कुछ ही दूरी पर था, देश का माहौल अजीबो-गरीब स्थिति में था। क्रांतिकारी शहादत दे रहे थे, कूटनीतिक राजनेता अपनी अपनी ताजपोशी के लिये देश को बाँटने की तैयारी कर रहे थे। देश के हालात बद से बदतर थे। अंग्रेजों को भारत छोड़ने का गम तो था, पर एक सुकून भी था कि उन्होंने देश के ऐसे हालात बना दिये जिससे भारत का उबरना बहुत कठिन था।
Downloads
Download data is not yet available.